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(News) भारतीय रेलों में द्रुत गति से यात्रा

भारतीय रेलों में द्रुत गति से यात्रा

भारतीय रेलवे ने 1853 में अपनी शुरूआत से लेकर देश के विकास में उल्‍लेखनीय भूमिका निभाई है। भारतीय रेलवे आज दुनिया भर में सबसे अधिक प्रतिदिन दो करोड़ तीस लाख से अधिक यात्रियों को यात्रा कराती है। यह वर्ष में करीब 7 बिलियन यात्रियों को यात्रा कराती है जो कि विश्‍व की जनसंख्‍या के बराबर है। इसने हमेशा सुरक्षित और किफायती यातायात का साधन बहुसंख्‍य जनों को मुहैया कराना चाहा है।

गति के मामले में रेलें अभी भी 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं। भारतीय रेलवे ने 1973 में ही मुम्‍बई और कोलकाता राजधानी एक्‍सप्रैस के द्वारा 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति हासिल की। इसके बाद से प्रगति धीमी रही। वर्ष 2006 से भोपाल शताब्‍दी ने कुछ समय 150 किलोमीटर प्रति घंटे की गति हासिल की। द्रुत गति की ट्रेनों के लिए जन आकांक्षाओं को पूरा करने तथा यात्रा की अवधि को घटाने के लिए वर्तमान ट्रेकों पर अंतरिम 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति और बाद में 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति हासिल करने की आवश्‍यकता है। उच्‍च गति को प्राप्‍त करने के लिए व्‍यापक और नवीन प्रौद्योगिकी को अपनाने की जरूरत है, जिससे कि तीव्र विश्‍वसनीय तथा किफायती सेवा प्राप्‍त की जा सके।

चीन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ताईवान, टर्की, दक्षिण-कोरिया एवं स्‍पेन जैसे देशों ने अपने प्रमुख नगरों में जुडाव के लिए उच्‍च गति की रेल विकसित कर ली हैं। इनके पास अधिकतम वाणिज्यक गति 250 से 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली रेल लाइनें हैं। इस प्रकार की पहली उच्‍च गति वाली रेल प्रणाली जापान में 1964 में चालू की गई और इन्‍हें बुलेट ट्रेन का नाम दिया गया। आज चीन में विश्‍व की सबसे लंबी उच्‍च गति का रेल नेटवर्क 8358 किलोमीटर का ट्रैक है। इसके नेटवर्क में लगातार विस्‍तार किया जा रहा है।

उच्‍च गति के लिए फेंसिंग सहित अलग ट्रैक की आवश्‍यकता है जिस पर लागत भी अधिक आयेगी। भारत जैसे देश के लिए ट्रैक फेंसिंग के मामले में इसके अपने मुद्दे हैं। रोलिंग स्‍टॉक प्रौद्योगिकी के अपनाने से 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति प्राप्‍त करने की तत्‍काल आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए कम लागत में काम का समाधान ज़रुरी है। 200 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति के लिए अधिक लागत तथा अधिक समय लगने के साथ-साथ फेंसिंग सहित उच्‍च ट्रैक की अलग से आवश्‍यकता होगी। इस संदर्भ में, भारतीय रेलवे एवं आरआईटीईएस, रेल मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के सहयोग से रोलिंग स्‍टॉक इंजीनियर्स संस्‍थान ने नई दिल्‍ली में 29 और 30 अक्‍तूबर 2013 को उच्‍च गति यात्रा-कम लागत समाधान अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का आयोजन किया। इस सम्‍मेलन का उद्घाटन रेल मंत्री श्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया। इस सम्‍मेलन की सह-अध्‍यक्षता मैकेनिकल इंजीनियर्स संस्‍थान, लंदन ने की। इस सम्‍मेलन में वर्तमान संरचना व सीमांत उपकरणों सहित 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति की रेंज में उच्‍च स्‍पीड की ट्रेनों पर ध्‍यान केंद्रित किया गया।

सम्‍मेलन की प्रमुख विषयवस्‍तु में उच्‍च गति प्रौद्योगिकी का विश्‍व परिदृश्‍य, उच्‍च गति की बोगी प्रौद्योगिकी, उच्‍च गति परिचालन के लिए ट्रेन डायनॉमिक्‍स का महत्‍व, उच्‍च्‍ गति के परिचालन के लिए व्‍हील्‍स सेटों, कम भार वाली कोच प्रौ़द्योगिकी, ट्रैक एवं ढांचा, सिग्‍नल प्रौद्योगिकी, ट्रेक्‍शन से संबंधित मुद्दे, ब्रेक प्रणालियां, उच्‍च गति परिचालन के विशेष संदर्भ में क्रैश मूल्‍यांकन, निर्माण एवं रखरखाव पहलुओं को शामिल किया गया। कुल 49 पेपर प्रस्‍तुत किए गए, जिनमें से 25 के प्रस्‍तुतकर्ता जर्मन, स्‍पेन, ऑस्‍ट्रेलिया, अमरीका, यूके, जापान, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, स्विटजरलैंड, इटली और चीन के थे। बामबारडियर, टेलगो, सीएएफ, एलस्‍टाम एवं सीमेन्‍स जैसे प्रमुख उच्‍च गति रॉलिंग स्‍टॉक निर्माणकर्ताओं ने इस सम्‍मेलन में भाग लिया तथा उच्‍च गति प्रौद्योगिकी में उनके ज्ञान तथा विश्‍व के विभिन्‍न भागों में कम लागत का समाधान सुझाने में अपने अनुभवों के बारे में उन्‍होंने अवगत कराया। स्‍पेन की राष्‍ट्रीय रेलवे आरईएनएफई, यूरोप में उच्‍च गति ट्रेन परिचालन में प्रमुखता से कार्य कर रही है। उच्‍च गति की ट्रेनें चलाने के अपने अनुभवों के बारे में इन्‍होंने भी अवगत कराया। सम्‍मेलन में भारत और विदेश के नीति-निर्माता, वरिष्‍ठ प्रशासक, अनुसंधान संस्‍थान, परामर्शक एवं उद्योगों से जुडे पेशेवरों ने भी भाग लिया। इससे रेलवे अधिकारियों के साथ-साथ अन्‍य हित धारकों को नेटवर्किंग के अवसर मिले।

इस अवसर पर रेल मंत्री ने उच्‍च गति के स्‍वप्‍न को यथार्थ में बदलने के पहले कदम के रूप में उच्‍च्‍ गति रेल प्राधिकरण, आरवीएनएनएल की सहायक संस्‍था की शुरूआत की। भारतीय रेलवे के के छह रूटों पर उच्‍च गति नेटवर्क स्‍थापित करने के प्रस्‍तावों से इसका महत्‍व और बढ जाता है। इस बारे में फ्रांस और जापान द्वारा अध्‍ययन किया जा रहा है। जैसी कि कहावत है कि अच्‍छी शुरूआत से आधा काम बन जाता है और वह दिन दूर नहीं जब भारतीय रेलवे के पास देश में 160-200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेनें होंगी।

Courtesy : PIB

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